बेंगलुरु के स्टार्टअप Zoko का अनूठा वेतन मॉडल: जानिए कैसे अर्जुन वी. पॉल ने ‘सीक्रेट’ से पाया विश्व स्तरीय टैलेंट
Zoko का अनोखा वेतन मॉडल
Zoko के सीईओ अर्जुन वी. पॉल ने लिंक्डइन पर खुलासा किया कि वे किसी भी कैंडिडेट से सैलरी पर मोल-भाव नहीं करते। उन्होंने बताया कि जब भी वे किसी कैंडिडेट को हायर करते हैं, तो उसे उतनी ही सैलरी देते हैं जितनी वह मांगता है। इसके बाद वे साल में एक बार सैलरी का रिवीजन करते हैं।
इस मॉडल की वजह
अर्जुन ने कहा कि इस तरीके का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे सैलरी नेगोशिएशन की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है और तुरंत ही एक विश्वास बनता है। इसके अलावा, यह कैंडिडेट के मूल्य और विशेषज्ञता के प्रति सम्मान भी दर्शाता है। कैंडिडेट्स के पास अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता क्योंकि उन्हें वही वेतन मिल रहा होता है जो वे चाहते थे।
अर्जुन की पोस्ट पर प्रतिक्रियाएं
अर्जुन की इस लिंक्डइन पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। Ellow.io के को-फाउंडर और सीईओ ने पूछा कि क्या होगा अगर कोई कैंडिडेट जरूरत से ज्यादा हाइक मांग ले। इस पर अर्जुन ने जवाब दिया कि वे लोगों से उनकी पुरानी सैलरी नहीं पूछते और उन्होंने देखा है कि कोई भी बेहिसाब सैलरी की मांग नहीं करता।
व्यक्तिगत अनुभव
अर्जुन ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने केवल एक बार वेतन पर बातचीत की थी और वह भी तब जब एक कैंडिडेट ने खुद को कम आंका था। उन्होंने उस कैंडिडेट को और अधिक ऑफर किया क्योंकि वह समान भूमिका में दूसरों की तुलना में कम मांग रहा था।
निष्कर्ष
अर्जुन वी. पॉल का यह अनोखा वेतन मॉडल न केवल सैलरी नेगोशिएशन की प्रक्रिया को सरल बनाता है बल्कि कैंडिडेट्स में विश्वास और सम्मान भी बढ़ाता है। Zoko का यह तरीका यह दर्शाता है कि वे अपने कर्मचारियों को उनकी वास्तविक काबिलियत के अनुसार सैलरी देने में विश्वास रखते हैं और इस प्रकार विश्व स्तरीय टैलेंट को बनाए रखते हैं।
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