मुंबई के एक छोटे से अपार्टमेंट में टीवी के सामने बैठा औसत भारतीय… थका हुआ ऑफिस के बाद का समय, और हाथ में पकड़ा उसका पसंदीदा स्नैक्स। यही वह दृश्य था जिसने गौरव पलरेजा को मैडमिक्स (Madmix) बनाने की प्रेरणा दी। शार्क टैंक इंडिया Shark Tank India Season 4 के नवीनतम एपिसोड में इस 28 वर्षीय युवा उद्यमी ने अपने इसी सपने को पेश किया – एक ऐसा ब्रांड जो स्वास्थ्य और स्वाद के बीच के अंतर को मिटा दे।
खाओ और खाने दो” का नया अध्याय

गौरव ने शार्क्स के सामने जो प्रस्ताव रखा, वह सीधे भारतीय मध्यम वर्ग के दिल से निकला हुआ था। “हम वही बनाते हैं जो हर भारतीय चाहता है – बिना गिल्ट के स्नैकिंग का मजा,” उन्होंने बताया। मैडमिक्स Madmix के प्रोडक्ट्स न सिर्फ बेक्ड हैं बल्कि मिलेट्स से बने होने के कारण पौष्टिक भी हैं। पान पॉप किशमिश से लेकर ज्वार गुजिया तक, हर उत्पाद एक कहानी कहता है।
शार्क्स के सामने आई चुनौतियाँ
जब विनीता सिंह ने प्रिजर्वेटिव्स पर सवाल उठाया, तो गौरव ने स्पष्ट किया: “हमारे 97% प्रोडक्ट्स में कोई प्रिजर्वेटिव नहीं। बाकी में भी 1% से कम है, जिसे हम जल्द ही हटा रहे हैं।” उनकी इस पारदर्शिता ने शार्क्स को प्रभावित किया।
लेकिन असली मोड़ आया तब, जब रितेश अग्रवाल ने कैश फ्लो पर सवाल किया। “महज ₹20 लाख बैंक में, और ₹8 लाख का मासिक खर्च? यह टिकाऊ नहीं,” रितेश ने चेताया। गौरव का जवाब था – “हमने पिछले साल सितंबर से मार्च तक सेल्स रोककर रीब्रांडिंग पर काम किया। अब हम महीने के 22 लाख रुपये तक पहुँच चुके हैं।”
वह डील जिसने बदली कहानी
3 साल में 8 लाख पैकेट बेच चुके इस स्टार्टअप को आखिरकार रितेश अग्रवाल ने जीवनदान दिया। ₹50 लाख के बदले 5% इक्विटी की डील हुई, लेकिन एक शर्त के साथ – गौरव को रेडी-टू-कुक और रेडी-टू-ईट में से किसी एक बिजनेस पर फोकस करना होगा।
एक उद्यमी का सफर
16 साल की उम्र में ₹5 के टिकट बेचने से शुरू हुआ यह सफर आज एक करोड़पति बिजनेस बन चुका है। गौरव की पत्नी तुइशा, जो पहले उनकी सहकर्मी थीं, ने ब्रांड की क्रिएटिव डायरेक्शन संभाली। शादी के बाद भी यह जोड़ी व्यावसायिक रूप से साथ ही खड़ी है।
Madmix के भविष्य की राह

अगले 5 सालों में मैडमिक्स का लक्ष्य है:
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार
प्रिजर्वेटिव-फ्री फॉर्मूले पर पूरी तरह स्विच
10,000+ रिटेल आउटलेट्स तक पहुँच
जैसे ही गौरव ने शार्क टैंक से निकलते हुए कैमरे की ओर देखा, उनकी आँखों में वही सपना झलक रहा था – “मैडमिक्स को हर भारतीय के किचन तक पहुँचाना।” और अब रितेश अग्रवाल के साथ, यह सपना कहीं ज्यादा वास्तविक लगने लगा है।
(यह कहानी शार्क टैंक इंडिया के एपिसोड और गौरव पलरेजा के विशेष साक्षात्कार पर आधारित है)

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