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भारत में मिडिल क्लास की स्थिति: बढ़ती महँगाई और घटती क्रय शक्ति (Purchasing Power) का असर

भारत में महंगाई की समस्या गंभीर होती जा रही है। अक्टूबर 2024 में रिटेल महंगाई दर 6.21% तक पहुंच गई है, जो पिछले साल अक्टूबर में 4.87% थी। यह दर आरबीआई के निर्धारित 6% की सीमा से ऊपर है। महंगाई के इस स्तर तक पहुंचने से दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी हो रही हैं, और इसका सबसे बड़ा असर देश के मिडिल क्लास पर पड़ रहा है।

मिडिल क्लास पर महंगाई और टैक्स का असर

भारत में मिडिल क्लास वर्ग, जो ईमानदारी से टैक्स भरता है, अब धीरे-धीरे आर्थिक दबाव में आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिडिल क्लास की आय में वृद्धि रुक गई है, और उनकी क्रय शक्ति कम हो रही है। इसके अलावा, टैक्स का बढ़ता बोझ और बेसिक सुविधाओं की कमी ने इस वर्ग की समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर के आंकड़े क्या कहते हैं?

भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के आंकड़े भी मिडिल क्लास की आर्थिक स्थिति को उजागर करते हैं।

  • पैसेंजर व्हीकल्स: इनकी बिक्री पिछले एक साल में 19% तक घट गई है।
  • एसयूवी और हाई-एंड कार्स: इनकी बिक्री में तेजी देखी गई है। महंगी कारों का बाजार 10 साल में 18% से बढ़कर 57% हो गया है।
  • टू-व्हीलर्स: सस्ते दोपहिया वाहन, जो लोअर और मिडिल क्लास खरीदते हैं, उनकी बिक्री में मामूली बढ़ोतरी हुई है।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि मिडिल क्लास की प्राथमिकता अब बचत और जरूरी चीजों पर खर्च करने तक सीमित हो गई है।

एफएमसीजी कंपनियों का संघर्ष

भारत की बड़ी एफएमसीजी कंपनियां, जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, और ब्रिटानिया, वित्तीय दबाव में हैं।

  • इन कंपनियों के शेयर प्राइस में औसतन 15-20% की गिरावट हुई है।
  • इस फाइनेंशियल ईयर में इनकी ग्रोथ 8-9% के अनुमान से घटकर 5-6% तक सीमित रहने की संभावना है।

एफएमसीजी सेक्टर में यह गिरावट उपभोक्ताओं की घटती आय और बढ़ती महंगाई का संकेत है।

बचत दर में गिरावट

भारत की घरेलू बचत दर पिछले कुछ सालों से लगातार घट रही है।

  • 10 साल पहले यह 28% थी, जो अब 5 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।
  • युवा पीढ़ी अधिकतर चीजें ईएमआई और लोन पर खरीद रही है, जिससे उनकी बचत और भी कम हो गई है।

सरकार और आरबीआई के सामने चुनौतियां

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की वित्त मंत्रालय, आरबीआई और सरकार को मिलकर इस स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाने होंगे।

  • डायरेक्ट टैक्स कोड: सरकार इस पुराने टैक्स कानून को सरल बनाने की बात कर रही है। हालांकि, अतीत में ऐसे बदलाव मिडिल क्लास के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं रहे हैं।
  • इकोनॉमिक प्लानिंग: मिडिल क्लास को टैक्स रिलीफ, आय वृद्धि, और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है।

निष्कर्ष

भारत में मिडिल क्लास की स्थिति एक ऐसे दौर से गुजर रही है जहां उनकी आय घट रही है, महंगाई बढ़ रही है, और टैक्स का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यह वर्ग देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है, और इसकी मजबूती के बिना देश की आर्थिक प्रगति अधूरी है। आने वाले समय में सरकार और कंपनियों के फैसले इस वर्ग की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

(नोट: यह लेख सार्वजनिक डेटा और विशेषज्ञों के सुझावों पर आधारित है।)


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