डिजिटल युग में तकनीकी प्रगति के साथ-साथ साइबर अपराधों के भी नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। हाल ही में, ‘डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला’ नाम का एक नया साइबर अपराध का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें अपराधी बुजुर्गों और सरकारी सेवा से जुड़े पूर्व अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। यह अपराधी भारतीय नागरिकों को फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से एक फर्जी कानूनी संकट में फंसाने का नाटक करते हैं, जिससे लोगों में डर और घबराहट का माहौल बन जाता है। इस घोटाले में ठग विभिन्न नकली तरीकों से लोगों को फंसाकर उनसे लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं।
हाल के आंकड़ों से यह साफ है कि NCR (non cognizable offense)) पुलिस ने केवल पिछले तीन महीनों में ही ऐसे 600 से अधिक मामलों की शिकायतें दर्ज की हैं। हर मामले में पीड़ितों को लाखों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस साइबर घोटाले का तरीका इतना विश्वसनीय होता है कि पीड़ित, विशेषकर बुजुर्ग और अनुभवहीन लोग, मानसिक दबाव में आकर धोखेबाजों की शर्तों को मानने पर मजबूर हो जाते हैं।
क्या है डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले का तरीका?

इस घोटाले में ठग खुद को किसी बड़े कुरियर कंपनी जैसे FedEx का प्रतिनिधि बताकर फोन कॉल के माध्यम से लोगों से संपर्क करते हैं। वे दावा करते हैं कि एक अवैध खेप, जिसमें ड्रग्स या अन्य गैरकानूनी वस्तुएं शामिल हैं, को पकड़ा गया है और यह खेप पीड़ित के नाम से जुड़ी हुई है। इसके बाद वे यह बताते हैं कि इस मामले में पीड़ित पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी और पुलिस अधिकारी उनसे संपर्क करेंगे।
इसके बाद वे पीड़ित को एक नकली पुलिस अधिकारी से जोड़ते हैं, जो पीड़ित को एक आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देता है। इस कॉल में नकली अधिकारी पीड़ित को गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाता है। यह एक सुव्यवस्थित तरीका होता है जिसमें फोन कॉल से लेकर वीडियो कॉल तक का इस्तेमाल होता है।
अपराधी खासकर बुजुर्गों को टारगेट करते हैं क्योंकि उन्हें तकनीकी जानकारी की कमी होती है और वे जल्दी से भरोसा कर लेते हैं। इस घोटाले में पीड़ित से वीडियो कॉल पर संपर्क किया जाता है और उनसे कैमरा ऑन रखने, किसी से संपर्क न करने और अलग-थलग रहने का आदेश दिया जाता है। इस तरह के निर्देशों का पालन कर पीड़ित भयभीत हो जाते हैं और अपनी जानकारी साझा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
किस प्रकार की झूठी जानकारी का उपयोग होता है?
‘डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले’ में ठग कई प्रकार के झूठे दावों का सहारा लेते हैं, जैसे:
- फर्जी कुरियर: अपराधी खुद को FedEx जैसी कंपनियों का प्रतिनिधि बताते हैं और एक अवैध खेप को पकड़े जाने का दावा करते हैं।
- फर्जी पुलिस अधिकारी: नकली पुलिस अधिकारी बनकर वे पीड़ितों से वीडियो कॉल के माध्यम से बात करते हैं और उन्हें आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देते हैं।
- आधार कार्ड और पार्सल से जुड़ी फर्जी जानकारी: अपराधी दावा करते हैं कि अवैध खेप में मिले सामान का संबंध पीड़ित के आधार कार्ड से है, जिससे लोग डर जाते हैं।
- गिरफ्तारी का डर: वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर पीड़ित को मानसिक रूप से परेशान कर दिया जाता है।
इस प्रक्रिया में अपराधी न केवल पीड़ित के मन में भय पैदा करते हैं, बल्कि उन्हें वास्तविक पुलिस प्रक्रिया का हिस्सा होने का भ्रम भी देते हैं। फर्जी पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाते हुए, ठग पीड़ित को मनोवैज्ञानिक दबाव में लेकर उनसे बड़ी धनराशि वसूल लेते हैं।
NCR पुलिस के आंकड़े और सरकार की चेतावनी
हाल ही में NCR पुलिस ने बताया कि ऐसे मामलों में काफी वृद्धि हुई है। साइबर क्राइम पोर्टल पर इस तरह की शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गृह मंत्रालय ने भी जनता को इस तरह के साइबर अपराध से सतर्क रहने के लिए चेतावनी जारी की है। राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल के माध्यम से भारत सरकार लोगों को जागरूक कर रही है, ताकि वे किसी भी अनजान कॉल से सतर्क रहें और ऐसे किसी भी कॉल में अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
सरकार ने इस प्रकार के साइबर अपराध से निपटने के लिए विशेष साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 की भी स्थापना की है, जहां लोग ऐसी घटनाओं की तुरंत शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के साथ मिलकर 1,000 से अधिक फर्जी स्काइप अकाउंट को ब्लॉक किया है ताकि लोग इन ठगों से सुरक्षित रहें।
मानसिक दबाव और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

ठगों का यह तरीका केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुंचाता, बल्कि पीड़ित को मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित करता है। डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर और अलग-थलग रहने का आदेश देकर वे पीड़ित के आत्मविश्वास को कमजोर करते हैं। ऐसे मामलों में बुजुर्ग और अनुभवहीन लोग विशेष रूप से जल्दी फंस जाते हैं, क्योंकि वे डर के कारण ठगों की हर शर्त मानने लगते हैं। मानसिक दबाव के कारण वे जल्द ही अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं और कई बार अपने परिवार के सामने यह घटना साझा करने में भी संकोच करते हैं।
बचाव के उपाय
इस घोटाले से बचने के लिए विशेषज्ञों ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
- अनजान कॉल्स पर सतर्क रहें: अगर कोई कॉल किसी आपराधिक मामले या कानूनी कार्रवाई का दावा करती है, तो उस पर तुरंत विश्वास न करें।
- वास्तविक पहचान की पुष्टि करें: अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिस का प्रतिनिधि बताता है, तो उसकी पहचान की सत्यता जांचें।
- अपने बैंकिंग और निजी डेटा को सुरक्षित रखें: किसी भी प्रकार की निजी जानकारी फोन कॉल पर साझा न करें और संदिग्ध व्यक्तियों से बैंकिंग जानकारी दूर रखें।
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन का उपयोग करें: किसी भी प्रकार की ठगी का शिकार होने पर तुरंत 1930 नंबर पर संपर्क करें और cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।
निष्कर्ष
डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले ने डिजिटल युग में सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। तकनीकी प्रगति के साथ अपराधियों के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं, जिससे लोगों के लिए यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कौन सा कॉल असली है और कौन सा फर्जी। यह समय की मांग है कि हम डिजिटल जागरूकता को बढ़ावा दें और अपने समाज में साइबर सुरक्षा को मजबूत करें।
डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले जैसे साइबर अपराध ने यह सिद्ध कर दिया है कि केवल सरकार के प्रयासों से ही साइबर सुरक्षा को बनाए रखना संभव नहीं है। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और सतर्कता बरतनी होगी। जब तक लोग खुद जागरूक नहीं होंगे और अपने अधिकारों व कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे, तब तक ठग ऐसे ही लोगों का शोषण करते रहेंगे। याद रखें, आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा है।
Digital Arrest Scam साइबर अपराधियों का नया हथकंडा

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