23 अगस्त का दिन उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनियों के शेयरधारकों के लिए काफी बुरा साबित हुआ। कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर फंड की हेराफेरी के आरोप में सख्त कार्रवाई की, जिसके चलते शेयर बाजार में उनकी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली।
सेबी का एक्शन और जुर्माना
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है और उन्हें शेयर बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही, उनके किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक के रूप में कार्य करने पर भी रोक लगा दी गई है।
रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य एंटिटीज पर भी इसी प्रकार का प्रतिबंध लगाया गया है। सेबी के 222 पेज के फाइनल ऑर्डर के अनुसार, RHFL के अधिकारियों ने अनिल अंबानी की मदद से कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग किया, जिन्हें लोन के रूप में दिखाया गया। इसके अलावा, RHFL कंपनी को भी छह महीने के लिए शेयर बाजार से प्रतिबंधित किया गया है और 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
अन्य प्रमुख अधिकारी और कंपनियां भी निशाने पर
इस मामले में RHFL के पूर्व प्रमुख अधिकारी अमित बापना पर 27 करोड़ रुपये, रवींद्र सुधालकर पर 26 करोड़ रुपये, और पिंकेश आर शाह पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज और रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट सहित अन्य कंपनियों पर भी फंड की हेराफेरी में शामिल होने के कारण 25-25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
शेयर बाजार में अनिल अंबानी की कंपनियों को बड़ा झटका
SEBI के इस कड़े एक्शन के बाद अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को हुआ, जिसका शेयर करीब 10% गिरकर 211.70 रुपये पर बंद हुआ। इसके साथ ही, बीएसई पर रिलायंस पावर का शेयर 5% गिरकर 34.45 रुपये पर लोअर सर्किट पर बंद हुआ। रिलायंस होम फाइनेंस के शेयर भी लगभग 5% की गिरावट के साथ 4.46 रुपये पर बंद हुए।
इन कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में भी बड़ी गिरावट आई है। रिलायंस पावर का बाजार पूंजीकरण घटकर 13,800 करोड़ रुपये हो गया, जबकि रिलायंस होम फाइनेंस का बाजार पूंजीकरण 216 करोड़ रुपये तक लुढ़क गया।
अतीत के विवाद और कारोबार का बंटवारा
अनिल अंबानी का रिलायंस ग्रुप कभी देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में से एक था, लेकिन समय के साथ उनकी कंपनियों की हालत खराब होती गई। अनिल अंबानी और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के बीच 2004 में शुरू हुआ विवाद, 2005 में व्यापारिक बंटवारे तक पहुंचा। इस बंटवारे में मुकेश अंबानी को पेट्रोकेमिकल्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस पेट्रोलियम जैसी कंपनियां मिलीं, जबकि अनिल अंबानी को आरकॉम, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस एनर्जी जैसी कंपनियां मिलीं।
हालांकि, जहां मुकेश अंबानी की कंपनियां लगातार ग्रोथ कर रही हैं, वहीं अनिल अंबानी की कंपनियों की स्थिति कमजोर होती चली गई। हाल ही में, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को भी 8,000 करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश दिया गया था, जो उनके वित्तीय संकट को और गहरा बना रहा है।
सेबी की सख्ती का असर
SEBI के इस कड़े फैसले से अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। अनिल अंबानी के ऊपर लगे प्रतिबंधों और जुर्माने से उनकी कारोबारी साख को भी गहरा झटका लगा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि वह इस संकट से किस तरह उबर पाते हैं और उनकी कंपनियों का भविष्य क्या होता है।
अनिल अंबानी की कंपनियों पर SEBI की सख्त कार्रवाई, 25 करोड़ का जुर्माना