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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत को बड़ा झटका, लाखों नौकरियां खतरे में

अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात, आईटी, फार्मा और कपड़ा उद्योग पर गहराया संकट

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित Reciprocal Tariff Policy भारत समेत कई देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने विस्तार से बताया कि किस तरह अमेरिका की यह टैरिफ नीति भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

क्या होता है टैरिफ?

टैरिफ यानी आयात शुल्क। जब कोई देश किसी दूसरे देश से आयात किए जाने वाले सामान पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है, तो वह सामान महंगा हो जाता है। जैसे यदि भारत से अमेरिका को ₹100 की शर्ट एक्सपोर्ट होती है और ट्रंप प्रशासन उस पर 20% टैरिफ लगा देता है, तो वह शर्ट अमेरिका के बायर को ₹120 की पड़ेगी। इससे अमेरिकी बायर वियतनाम, बांग्लादेश या फिलीपींस जैसे देशों से सस्ता माल खरीदना शुरू कर देगा, जिससे भारतीय निर्यात घटेगा।


किन-किन क्षेत्रों पर असर पड़ेगा?

1. आईटी सेक्टर

भारत हर साल लगभग 245 अरब डॉलर का आईटी एक्सपोर्ट करता है, जिसमें से 80% एक्सपोर्ट अमेरिका को होता है। अगर ट्रंप की नीतियां लागू होती हैं तो भारतीय आईटी कंपनियों जैसे Infosys और TCS को भारी नुकसान होगा और एच1बी वीजा धारकों की नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।

2. टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री

15-25% का टैरिफ भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स पर लगाने का प्रस्ताव है, जिससे भारत का कॉस्ट एडवांटेज खत्म हो जाएगा। अनुमान है कि लगभग 20 लाख नौकरियां केवल इस सेक्टर में समाप्त हो सकती हैं।

3. फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री

अमेरिका की फार्मा खपत का 40% भारत से जाता है। अगर ट्रंप फार्मा प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाते हैं, तो भारतीय फार्मा कंपनियों को बड़ा झटका लगेगा और जेनरिक दवाइयों की मांग घट सकती है।

4. ऑटोमोबाइल सेक्टर

भारत की ऑटो कंपनियों पर 25% आयात शुल्क प्रस्तावित है जिससे लगभग 14 अरब डॉलर का व्यापार प्रभावित हो सकता है। इससे भारत में उत्पादन घटेगा और लाखों नौकरियां खत्म हो सकती हैं।


अप्रवासी भारतीयों और रेमिटेंस पर असर

ट्रंप की आव्रजन नीति के कारण अमेरिका में रह रहे 7.25 लाख अवैध भारतीयों और 1 मिलियन ग्रीन कार्ड आवेदकों पर संकट मंडरा रहा है। अगर उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ा, तो भारत को मिलने वाली इनवर्ड रेमिटेंस (विदेशी धन) जो 2024 में लगभग 111 अरब डॉलर थी, उसमें बड़ी गिरावट आ सकती है। इससे फॉरेक्स रिजर्व घटेगा और रुपये की कीमत पर असर पड़ेगा।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति अगर लागू होती है तो यह केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार, निर्यात, और डॉलर-रुपया विनिमय दर पर भी पड़ेगा। यह भारत के लिए एक गंभीर आर्थिक चुनौती बन सकती है।

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