डिजिटल अरेस्ट “Digital Arrest”: ऑनलाइन ठगी का एक नया थकंडा !
भारत में साइबर अपराध (Cyber Crime) तेजी से बढ़ रहा है और ठगी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। ताजा मामला दिल्ली के रोहिणी इलाके का है, जहां 72 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर को साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) के जाल में फंसा कर 10 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली। इस खतरनाक घटना ने साइबर सुरक्षा और जागरूकता की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है।
कैसे हुआ ‘डिजिटल अरेस्ट‘?
29 सितंबर को, रिटायर्ड इंजीनियर को एक फोन कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को एक पार्सल कंपनी का कर्मचारी बताया और यह दावा किया कि उनके नाम से प्रतिबंधित दवाओं का एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है। इसके बाद, कॉल को मुंबई क्राइम ब्रांच के ‘अधिकारी’ से जोड़ दिया गया।
अपराधियों ने बुजुर्ग को धमकाया और कहा कि वह एक एप्लीकेशन डाउनलोड करें, जिससे वे उनके साथ वीडियो कॉल कर सकें। वीडियो कॉल के दौरान, अपराधियों ने उनके परिवार के बारे में निजी जानकारी इकट्ठा की और उन्हें डराया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उनके बेटे और बेटी पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसा दिया जाएगा।
आठ घंटे की ‘डिजिटल गिरफ्तारी‘

बुजुर्ग व्यक्ति को वीडियो कॉल के जरिए करीब आठ घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट‘ में रखा गया। इस दौरान, उन्हें अलग-अलग बैंक खातों में 10.3 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया। यहां तक कि जालसाजों ने उनसे उनके बेटे और बेटी से भी पैसे मंगवाने के लिए कहा।
इस प्रक्रिया में, पीड़ित को शक हुआ और उन्होंने अपना लैपटॉप बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने परिवार को घटना की जानकारी दी और 1 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
जांच में क्या पता चला?
दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में पता चला कि ठगी की रकम सात बैंक खातों में जमा कराई गई थी, और बाद में इसे 1,500 से अधिक अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
पुलिस ने 60 लाख रुपये की राशि फ्रीज कर ली है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जालसाज भारत में अपने लक्ष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय सहयोगियों की मदद ले रहे हैं और कंबोडिया, ताइवान और फिलीपींस जैसे देशों से कॉल कर रहे हैं।
दुबई और सिंगापुर में परिवार
पीड़ित का बेटा दुबई में कारोबार करता है और उनकी बेटी सिंगापुर में रहती हैं। अपराधियों ने उनकी पारिवारिक स्थिति का फायदा उठाकर उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया।
पहली बार नहीं हुआ ऐसा
यह पहली घटना नहीं है जब किसी वरिष्ठ नागरिक को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के जरिए ठगा गया हो। जुलाई में, दक्षिणी दिल्ली के सीआर पार्क में रहने वाले एक 72 वर्षीय व्यक्ति से इसी तरीके से 83 लाख रुपये ठग लिए गए थे।
सावधान रहने की आवश्यकता
यह घटना साइबर सुरक्षा के प्रति हमारी गंभीरता पर सवाल उठाती है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे जाल में फंसने से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- अपरिचित कॉल्स पर सावधानी: अगर कोई खुद को अधिकारी या कंपनी का प्रतिनिधि बताता है, तो उसकी सच्चाई की पुष्टि करें।
- ऐप्स डाउनलोड करने से बचें: अनजान व्यक्तियों द्वारा दिए गए लिंक या ऐप्स को डाउनलोड न करें।
- परिवार की जानकारी साझा न करें: अपनी पारिवारिक और व्यक्तिगत जानकारी को गोपनीय रखें।
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन: किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर दें।
पुलिस की अपील
दिल्ली पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदेहास्पद कॉल के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें। इस घटना से सीख लेते हुए, हमें अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए और दूसरों को भी सतर्क करना चाहिए।
पूरा पढ़े: “क्या है डिजिटल गिरफ्तारी ?” |
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